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अयोध्या में भगवान राम का ऐसा मजबूत मंदिर बनाने की दिशा में कार्य चल रहा कि न वह भूकंप से डिगे और न ही नदी के रास्ता बदलने से कोई विपरीत प्रभाव पड़े। कम से कम एक हजार साल की आयु वाले मंदिर निर्माण की मजबूती के लिए आईआईटी के इंजीनियर सहित तमाम तकनीकी विशेषज्ञ मंथन करने में जुटे हैं। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चम्पत राय ने बुधवार को आईएएनएस से बातचीत में बताया कि मंदिर निर्माण के लिए बहुत गहराई से होमवर्क किया जा रहा है।
दरअसल, अयोध्या सरयू के तट पर बसी है। मंदिर की नीव की खुदाई हुई तो यहां नीचे भुरभुरी बालू की सतह मिली है। जिससे रामंदिर की मजबूत नीव बनाने की चुनौती खड़ी होने के सवाल पर चंपत राय ने बताया, "इस चुनौती को भारतीय इंजीनियरों ने स्वीकार कर लिया है। नदी का किनारा है, नदी का मार्ग बदल सकता है। भविष्य में भूकंप आ सकता है। जमीन के नीचे भुरभुरी बालू है। इन सब बातों को गंभीरता से लेते हुए विशेषज्ञ मजबूत निर्माण के लिए अध्ययन कर रहे हैं।"
चंपत राय ने कहा, "मंदिर निर्माण के लिए प्रस्तावित स्थल के नीचे 60 मीटर तक सैंड मिला है। हमने इसरो से भी तस्वीरें मंगाई। पता चला है कि सरयू नदी पांच बार दिशा बदल चुकी है। अगले 500 वर्ष में भी नदी दिशा बदल सकती है। इन सब बातों को मंदिर निर्माण कमेटी गंभीरता से ले रही है।"
जमीन के नीचे बालू मिलने से मजबूत नींव के सवाल पर चंपत राय ने बताया, "इस विषय पर विशेषज्ञों से मंथन हुआ। निर्णय हुआ है कि जिस तरह से डैम की दीवार बनती है उस तरह की विधि नीव के निर्माण में अपनाई जाय।"
चंपत राय ने बताया, "आईआईटी मुंबई, दिल्ली, चेन्नई, और गुवाहाटी के इंजीनियर, निर्माण एजेंसी लार्सन एंड टूब्रो और टाटा के विशेषज्ञ मंदिर की मजबूत नीव की ड्राइंग बनाने में जुटे हैं। उम्मीद करते हैं कि अगले 2-3 दिन में नीव का नक्शा बनकर तैयार हो जाएगा।"
राम मंदिर का निर्माण पत्थरों से होगा। प्रत्येक मंजिल की ऊंचाई 20 फीट, लम्बाई 360 फीट और चौड़ाई 235 फीट होगी। निर्माण कार्य की देखरेख प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पूर्व प्रमुख सचिव और रिटायर्ड आईएएस नृपेंद्र मिश्र की देखरेख में चल रहा है।
विश्व हिंदू परिषद के उपाध्यक्ष और मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने आईएएनएस को बताया कि अयोध्या में अगले तीन वर्ष में भव्य से भव्य राम मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा। मंदिर का नक्शा पुराने नक्शे से ज्यादा व्यापक होगा, क्योंकि अब जमीन ज्यादा उपलब्ध है।