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राजस्थान के झुंझुनू की एक पॉक्सो अदालत ने बुधवार को सुनील कुमार (20) को मौत की सजा सुनाई, जिसे 19 फरवरी को पांच साल की बच्ची से दुष्कर्म का दोषी ठहराया गया था। फैसले के बाद, अदालत के विशेष सरकारी वकील ने जेल प्रबंधन को सुनील को धार्मिक और प्रेरक किताबें देने के लिए कहा। सुनील ने स्वीकार किया था कि वह शराबी होने के अलावा आदतन पोर्न देखता था।
फैसला न्यायाधीश सुकेश कुमार जैन ने सुनाया, जबकि लोकेंद्र सिंह शेखावत ने विशेष अभियोजन अधिकारी के रूप में अदालत का प्रतिनिधित्व किया।
इस बीच, पुलिस महानिदेशक एम.एल. लाठर ने महानिरीक्षक हवा सिंह घुमरिया और उनकी टीम के प्रयासों की प्रशंसा की, जिसने घटना के नौ दिनों के भीतर अदालत में चालान पेश किया।
घुमरिया ने कहा कि आरोपी ने 19 फरवरी को झुंझुनू जिले के पिलानी पुलिस स्टेशन क्षेत्र में नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म किया था। पीड़िता अपने भाई के साथ खेत में खेल रही थी, तभी कुमार स्कूटी पर आया और लड़की का अपहरण कर लिया। उसके भाइयों और बहनों ने आरोपी का पीछा करने की कोशिश की, लेकिन वे उसे पकड़ नहीं पाए।
तुरंत पुलिस को सूचित किया गया। डीएसपी मनीष त्रिपाठी के निर्देश पर सभी सड़कों की नाकेबंदी कर दी गई। रात करीब 8 बजे नाबालिग लड़की पास के एक गांव में खून से लथपथ पाई गई। उसे पास के अस्पताल में ले जाने के बाद पुलिस ने कुमार को पांच घंटे के भीतर गिरफ्तार कर लिया।
आरोपी के खिलाफ नौवें दिन ही चालान पेश किया गया था, इसलिए मामले की नियमित सुनवाई की जा रही थी। इस सिलसिले में 40 से अधिक गवाह जुटाए गए। पुलिस ने सबूत के रूप में 250 दस्तावेज भी पेश किए।
कोर्ट के फैसले के बाद पीड़िता के पिता ने कहा कि उनकी बेटी को आज न्याय मिला है।
सुनवाई के दौरान, आरोपी ने अदालत को बताया कि उसने अपराध किया था। अदालत ने कहा कि उसने लगभग 40 किलोमीटर तक स्कूटी चलाई और लड़की को चॉकलेट व चिप्स दिए, जिसका मतलब था कि वह होश में थी।
आरोपी ने अदालत के सामने यह भी स्वीकार किया कि वह शराबी है और पोर्न देखने का शौकीन है।
झुंझुनू जिले में यह दूसरा मामला है, जहां दुष्कर्म के दोषी को पोस्को अधिनियम लागू होने के बाद मौत की सजा दी गई है। तीन साल पहले विनोद कुमार नाम के एक दोषी को इसी तरह के मामले में मौत की सजा सुनाई गई थी।